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अभीक्ष्णं
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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again and again
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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over and over
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.3119287 | Lang: NA
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over and over again
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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time and again
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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time and time again
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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eternally
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frequently
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constantly
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oft
Meanings: 3; in Dictionaries: 3
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incessantly
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continually
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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perpetually
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redouble
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अभीक्ष्ण
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incessant
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frequent
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एकनाथी भागवत - श्लोक २६ वा
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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repeat
Meanings: 19; in Dictionaries: 7
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निदानस्थानम् - अष्टमोऽध्यायः
हिन्दू धर्मातील पवित्र आणि सर्वोच्च धर्मग्रन्थ वेदांतील मन्त्रांचे खण्ड म्हणजेच संहिता.
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अर्थशास्त्रम् अध्याय ०५ - भाग ३
अर्थशास्त्र या ग्रंथात राज्यव्यवस्था, कृषि, न्याय आणि राजनीति वगैरे विभिन्न विषयांवर विचार केला गेला आहे.
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constant
Meanings: 62; in Dictionaries: 20
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निदानस्थान - उन्मादनिदानं व्याख्यास्यामः
चरक संहिता आयुर्वेदासंबंधी एक प्रसिद्ध ग्रन्थ आहे. हा ग्रंथ संस्कृत भाषेत आहे. या ग्रंथाचे उपदेशक अत्रिपुत्र पुनर्वसु, ग्रंथकर्ता अग्निवेश आणि प्रतिसंस्कारक चरक हे होत. Charaka Sanhita is believed to be the oldest Ayurvedic text on internal medicine.
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बृहत्संहिताः - अध्याय ८८
’बृहत्संहिता’ ग्रंथात वास्तुविद्या, भवन निर्माण कला, वायुमंडळाची रचना, वृक्ष आयुर्वेद इ. विषय अंतर्भूत आहेत.
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अधिकरणम् ६ - अध्यायः १
महर्षि वात्स्यायन यांच्या कामसूत्र ग्रंथात दाम्पत्य जीवनातील फक्त श्रृंगारच वर्णिलेला नसून कला, शिल्पकला आणि साहित्यपण संपादित केलेले आहे.
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कात्यायनस्मृतिः - क्रियापादः
स्मृतिग्रंथ म्हणजे धर्मशास्त्रावरील एक आवश्यक वचनांचा भाग.
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विष्णुपर्व - एकादशोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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अर्थशास्त्रम् अध्याय १३ - भाग २
अर्थशास्त्र या ग्रंथात राज्यव्यवस्था, कृषि, न्याय आणि राजनीति वगैरे विभिन्न विषयांवर विचार केला गेला आहे.
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अर्थशास्त्रम् अध्याय ०९ - भाग ६
अर्थशास्त्र या ग्रंथात राज्यव्यवस्था, कृषि, न्याय आणि राजनीति वगैरे विभिन्न विषयांवर विचार केला गेला आहे.
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अध्याय ७५ वा - श्लोक २१ ते २५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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षष्ठः स्कन्धः - अथ चतुर्दशोऽध्यायः
’ श्रीमद्भागवतमहापुराणम्’ ग्रंथात ज्ञान, वैराग्य व भक्ति यांनी युक्त निवृत्तीमार्ग प्रतिपादन केलेला आहे, अशा या श्रीमद्भागवताचे भक्तिने श्रवण, पठन आणि निदिध्यासन करणारा मनुष्य खात्रीने वैकुंठलोकाला प्राप्त होतो.
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सार्थ श्रीमहाभारतसुभाषितानि - वचन ७६१ ते ७८०
लोकांचे अज्ञान नाहींसे होऊन, त्यांना ज्ञान प्राप्त व्हावें, ह्या हेतूनें श्रीभगवान् व्यास महर्षींनी महाभारत ग्रंथ निर्माण केला.
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उतथ्यगीता
गीता म्हणजे प्राचीन ऋषी मुनींनी रचलेली विश्व कल्याणकारी मार्गदर्शक तत्त्वे.
Gita has the essence of Hinduism, Hindu philosophy and a guide to peaceful life and ever lasting world peace.
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अनुषङ्गापादः - अध्यायः ३१
ब्रह्माण्डाच्या उत्पत्तीचे रहस्य या पुराणात वर्णिलेले आहे.
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उतथ्यगीता
गीता म्हणजे प्राचीन ऋषी मुनींनी रचलेली विश्व कल्याणकारी मार्गदर्शक तत्त्वे. Gita has the essence of Hinduism, Hindu philosophy and a guide to peaceful life and ever lasting world peace.
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उत्तरस्थान - अध्याय ६
आयुर्वेदातील अष्टांग हृदय प्रसिद्ध ग्रंथ आहे. याचे रचनाकार आहेत, वाग्भट. या ग्रंथाचा रचनाकाल ई.पू.५०० ते ई.पू.२५० मानतात. या ग्रंथात औषधि आणि शल्यचिकित्सा दोन्हींचाही समावेश आहे.
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रसरत्नाकर - प्रकरण ३.७
रसायनशास्त्रावरील प्रसिद्ध ग्रंथांपैकी एक आहे रसरत्नाकर. याचे रचनाकार नित्यनाथसिद्ध नागार्जुन होत. या ग्रंथात मुख्यत: धातुंचे शोधन, मारण, शुद्ध पारद प्राप्ति शिवाय भस्म बनविण्याच्या विधींचे वर्णन आहे.
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उत्तरस्थान - अध्याय २
आयुर्वेदातील अष्टांग हृदय प्रसिद्ध ग्रंथ आहे. याचे रचनाकार आहेत, वाग्भट. या ग्रंथाचा रचनाकाल ई.पू.५०० ते ई.पू.२५० मानतात. या ग्रंथात औषधि आणि शल्यचिकित्सा दोन्हींचाही समावेश आहे.
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सृष्टिखण्डः - अध्यायः ३७
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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व्यवहारपदानि - ऋणादानम्
स्मृतिग्रंथ म्हणजे धर्मशास्त्रावरील एक आवश्यक वचनांचा भाग.
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अनेकार्थसङ्ग्रहः - त्रिस्वरकाण्डः
आचार्यश्रीहेमचन्द्रेण विरचितः अनेकार्थसङ्ग्रहो नाम कोशः
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